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लोकार्पण कार्यक्रम:बिजासन माता मंदिर पर नक्षत्र वाटिका का हुआ लोकार्पण
मध्यप्रदेश के प्रथम आध्यात्म व सांस्कृतिक केंद्र बिजासन माता मंदिर में नक्षत्र वाटिका का लोकार्पण गत दिवस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सहसंघ कार्यवाह सुरेश सोनी, प्रभारी मंत्री उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ।
संघ के पूर्व सह कार्यवाह सुरेश सोनी, प्रभारी मंत्री मोहन यादव व सांसद रोडमल नागर एवं विधायक कुंवर जी कोठार, जिला अध्यक्ष दिलबर यादव, संघ के प्रांतीय नेता लक्ष्मीनारायण चौहान, महेंद्र सेठिया द्वारा सर्व प्रथम माता बिजासन की पूजा व आरती की गई। उसके बाद नक्षत्र वाटिका का लोकार्पण फीता काटकर किया गया उसके बाद नवग्रह देवता व भगवान गणेश का पूजन किया गया ।
बिजासन माता के दर्शन को आने वाले माता के भक्तों के लिए यह पर एक नवीन आध्यात्म केंद्र का खाखा सांसद रोडमल नागर द्वारा तैयार किया गया है। सांसद रोडमल नागर की ही यह कल्पना रही कि हमारे ग्रह, नक्षत्र, राशि व दिशाओं को उनकी राशियों के वृक्ष का एक निश्चित स्थान होना चाहिए जहां पर व्यक्ति अपनी राशि अनुरूप अपने आराध्य देवताओं का पूजन एक स्थान पर कर सके, उसी क्रम में यह नक्षत्र वाटिका का निर्माण यह हुआ है व सांसद नागर के सपने को साकार होते जनता ने देखा है। पंचायत ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 27 लाख की लागत से वाटिका का निर्माण 5 माह में किया गया है।
माता बिजासन के मंदिर में प्रभारी मंत्री डॉक्टर मोहन यादव व सांसद रोडमल नागर, विधायक कुंवर जी कोठार का स्वागत पुजारी नारायण सिंह नागर, मोहन नागर, रामचंद्र नागर, महेश नागर व पुजारी परिवार के सदस्यों द्वारा किया गया। लोकार्पण के बाद प्रगति संस्थान में हुई सामान्य बैठक में प्रभारी मंत्री व अन्य अतिथियों के समक्ष माता बिजासन के भव्य मंदिर निर्माण व मंदिर परिसर में होने वाले अन्य निर्माण कार्यों के बनाए गए मास्टर प्लान का प्रजेंटेशन उज्जैन के आर्किटेक्ट त्रिवेदी बंधुओं द्वारा दिया गया। बनाए गए मास्टर प्लान पर सहमति जताते हुए सभी ने जल्द मंदिर निर्माण की सहमति व प्लान पर कार्य प्रारंभ करने की सहमति दी।
नक्षत्र वाटिका का महत्व
नक्षत्र वाटिका ज्योतिष में 27 नक्षत्र, 12 राशि व 9 नवग्रह तथा 8 दिशाओं का उल्लेख है। प्रत्येक व्यक्ति का एक निश्चित नक्षत्र होता है जो कि उसके जीवन को प्रभावित करता है। प्रत्येक नक्षत्र राशि नवग्रह दिशा से संबंधित एक वनस्पति (वृक्ष या पौधा)होता है जिसका उस व्यक्ति के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। अपने नक्षत्र से संबंधित वृक्ष /पौधे के पूजन करके उसके अवयवों को शरीर पर धारण करने तथा उसको रोपण करने से संबंधित नक्षत्र की प्रतिकूलता का शमन होकर अनुकूलता प्राप्त होती है। संबंधित वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान करने से सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।
अपने नक्षत्र से संबंधित अवयव को धारण करने से वही लाभ होता है जो महंगे रत्नों को धारण करने से होता है । वाटिका के मध्य में भगवान सूर्य ग्रह के लिए मदार व केतु के लिए कुश, बुध के लिए अपामार्ग, गुरु के लिए पीपल, शुक्र के लिए गूलर ,चंद्र के लिए पलाश, मंगल के लिए खेर, राहु के लिए दूर्वा, न्याय के देवता शनि के लिए शमी का पौधा लगाया गया है ।वहीं 12 राशियों के लिए क्रमशः गूलर, शमी, खेर, पलाश,पीपल आदि पौधे लगाए गए है। वहीं रीठा, ,जल्वेतश, पाकर, कचनार कुचला, नागकेशर, साल, आंवला सहित कई पौधे उत्तराखंड(हरिद्वार), हिमाचल प्रदेश से लाकर लगाए गए है ।